श्री गुरुजी को पंडित नेहरू का उत्तर
श्रीगुरुजी (हिंदी)   25-Oct-2017
श्री गुरुजी ने प्रधानमंत्री के पत्र की एक प्रतिलिपि गृहमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्रीजी को लिखे पत्र के साथ जोड़ दी। ये पत्र संबंधित व्यक्तियों को समय पर प्राप्त हों, इस दृष्टि से एक स्वयंसेवक को दिल्ली भेजा गया। ये पत्र उचित समय पर पंडित नेहरू और श्री शास्त्रीजी को मिले।
 
पंडित नेहरू और श्री गुरुजी के सैध्दान्तिक मतभेद सर्वविदित थे, तथापि देशहित का निरपेक्ष वस्तुनिष्ठ विचार योग्य शब्दों में पंडित नेहरू को और शास्त्रीजी को बतलाया जाय तो वह अवश्य स्वीकार्य होगा, इस विश्वास से श्री गुरुजी ने ये दो पत्र भेजे थे। श्री गुरुजी का विश्वास कितना सत्य था, इसका प्रमाण पंडित नेहरू द्वारा उत्तर में भेजे गये पत्र से मिला।
 
श्री गुरुजी का पत्र पढ़ने के बाद पंडित नेहरू ने उसका मर्म जान लिया और तुरंत दि. 1 मार्च, 1963 को श्री गुरुजी को उत्तर भेजा। पत्र इस प्रकार था :
नई दिल्ली
1 मार्च 1963
प्रिय श्री गोलवलकर,
 
आपका दि. 27-2-63 का पत्र आज शाम ही सधन्यवाद प्राप्त हुआ। साथ ही उक्त पत्र में आपने महाराजाधिराज नेपाल नरेश तथा डा. तुलसी गिरि के साथ हुई आपकी वार्ता का जो विवरण प्रस्तुत किया है, उसके लिए मैं आपका आभारी हूँ।
 
नेपाल की सार्वभौम स्वतंत्रता में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप हमारे द्वारा किए जाने का प्रश्न ही नहीं है और न कभी था। इस बात को हमने बार-बार प्रकट किया है। जब कभी नेपाल नरेश ने दोनों देशों के संबंधों से संबध्द विभिन्न समस्याओं के बारे में मुझसे चर्चा की और उन पर मेरी सलाह की अपेक्षा की तभी केवल मैंने उनको अपनी सलाह देने का साहस किया। किन्तु निर्णय तो उन्हीं को करना है। जब उनके पिताश्री स्व. महाराजाधिराज जीवित थे तो वे अक्सर मुझसे मुक्त हृदय से वार्तालाप करते थे।
भारत और नेपाल के बीच यदि किसी प्रकार की भ्रान्त धारणाएँ हों तो उन्हें दूर करना दोनों देशों के लिए कल्याणकारी है, ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है। ऐसे विषयों के बारे में हमारी ओर से केवल सैध्दान्तिक भूमिका वहन करने का सवाल ही नहीं उठता, अपितु हमें तो यथार्थवादी दृष्टिकोण ही अपनाना होगा।
 
आपको ज्ञात ही है कि अपने गृहमंत्री नेपाल की यात्रा पर जा रहे हैं। वस्तुतः उन्हें आज ही रवाना हो जाना चाहिए था। परन्तु पूर्व राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद जी के दु:खद निधन के कारण उन्हें अपनी यात्रा एक दिन के लिए स्थगित करनी पड़ी। मुझे विश्वास है कि उनकी नेपाल यात्रा दोनों देशों में सद्भाव निर्माण करने की दृष्टि से लाभदायक सिध्द होगी।
भवदीय,
जवाहरलाल नेहरू
सन् 1965 के उत्तरार्ध्द में श्री अटल बिहारी वाजपेयी शास्त्रीजी से मिले थे। उस समय शास्त्रीजी ने नेपाल के संदर्भ में श्री गुरुजी के संबंध में आत्मीयता से आदरपूर्वक उल्लेख किया। उन्होंने कहा, "भ्रान्त धारणाएँ दूर कर भारत-नेपाल संबंध दृढ़ करने के लिए पंडित नेहरू द्वारा मुझे नेपाल नरेश के साथ विस्तारपूर्वक बातचीत करने के लिए भेजा गया था। नेपाल नरेश के साथ वार्ता करते समय मेरे ध्यान में आया कि अनुकूल पृष्ठभूमि तैयार कर भारत-नेपाल मित्रता दृढ़ करने का मेरा तीन-चौथाई काम श्री गुरुजी पहले ही कर चुके हैं।"