शत नमन
श्रीगुरुजी (हिंदी)   25-Oct-2017
शत नमन माधव चरण में, शत नमन माधव चरण में।
आपकी पीयूष वाणी शब्द को धन्य करती।
आपकी आत्मीयता थी युगल नयनों से बरसती ।
और वह निश्चल हँसी जो गुँज उठती थी गगन में ॥1॥
 
ज्ञान में तो आप ऋषिवर दिखते थे आद्य शंकर ।
और भोला भाव शिशु सा खेलता मुख पर निरन्तर ।
दीन दुखियोंके लिए थी द्रवित करुणाधार मन में ॥2॥
 
दु:ख सुख निन्दा प्रशंसा आपको सब एक ही थे ।
दिव्य गीता ज्ञान से युत आप तो स्तित प्रज्ञ ही थे।
भरत भू के पुत्र उत्तम आप थे युगपुरुष जन्में ॥3॥
 
मेरु गिरि सा मन अडिग था आपने पाया महात्मन् ।
त्याग कैसा आपका वह तेजसाहस शील पावन ।
मात्र दर्शन भस्म कर दे घोर षट्-रिपु एक क्षण में ॥4॥
 
सिंधु सा गम्भीर मानस थाह कब पाई किसी ने ।
आ गया सम्पर्क में जो धन्यता पाई उसी ने ।
आप योगेश्वर नए थे छल भरे कुरुक्षेत्र रण में ॥5॥
शत नमन माधव चरण में, शत नमन माधव चरण में ।