डाक्टर हेडगेवार के साथ
श्रीगुरुजी (हिंदी)   27-Oct-2017
दीक्षा के पश्चात् श्री माधव राव संतुष्ट प्रतीत होते थे। उनके हाथों श्री गुरु सेवा यत्नपूर्वक तन-मन से हो रही थी, इसी में उनके आश्रम प्रवास के दिन संतोष में बीत रहे थे। इस जीवन से वह पूर्णतया समरस हो गये थे। व्यक्तिगत सुख-सुविधाएँ, कठिनाई आदि का विचार उन्हें छू तक नहीं पाया। श्री बाबा जी का उनके विषय में विचार था कि, "वह जिस काम में हाथ डालेंगे, वह सोना हो जायेगा।" (भिशीकर, च.प. वही, पृष्ठ 31)। श्री माधव राव की इच्छा हिमालय पर्वत पर जाने की थी। इस कारण श्री अतिमाभ महाराज जी ने श्री बाबा जी से पूछा, "माधवराव हिमालय जाने की इच्छा अतिशय प्रबल है।" इस पर श्री बाबा जी ने उत्तर दिया, "यह डाक्टर हेडगेवार के साथ रह कर कार्य करेगा, ऐसा लगता है। शुध्द भाव से समाज सेवा में रहेगा। वह हिमालय का दर्शन अवश्य करे, परन्तु एकांत वास न करे, इसका ध्यान रखना।"