प्रस्तावना
श्रीगुरुजी (हिंदी)   27-Oct-2017
हिन्दी भाषी पाठकों के लिए मूल मराठी पुस्तक श्री गुरुजी का हिन्दी में अनुवादित चरित्र प्रस्तुत करते हुए विषेश आनंद हो रहा है। पू. गुरुजी की ५१ वीं वर्षगाँठ मनाते समय १९५६ ईस्वी में एक संक्षिप्त सा चरित्र व्यक्ति और कार्य के नाम से निकाला गया था। पू. गुरुजी अपने विषय में किसी भी प्रकार का प्रचार-प्रसार अनुचित समझते थे। इसलिए उनके जीवनकाल में कोई विस्तृत चरित्र नहीं लिखा जा सका। उनके निधन के पश्चात उनके विषय की समस्त सामग्री इकठ्ठा करने का जो काम किया गया उसी से सात खण्डों का ग्रंथ - श्री गुरुजी समग्र दर्शन तैय्यार हुआ। इन खण्डों में पू. गुरुजी की जीवनविषयक बातें बहुत कम हैं और वह भी सात खण्डों में बिखरी पडी हैं। पू. गुरुजी का चरित्र जानने के लिए इतने विस्तृत ग्रंथ का पढना स्वयंसेवक के लिए कठिन है। पू. डॉक्टर जी पर केशवः संघ निर्माता नामक ग्रंथ लिखकर प्रसिध्दि प्राप्त किए हुए श्री चं. प. भिशिकर ने पू. बालासाहेब के प्रोत्साहन से गुरुजी के जीवन पर १९८२ ईस्वी में ग्रंथ प्रकाशित किया था। बाद में उपलब्ध सामग्री को जोडकर श्री भिशिकर जी ने मराठी में पू. गुरुजी का एक समग्र चरित्र छापा है। हिन्दी पाठकों की संख्या उसके पढने से वंचित रह जाती अगर नागपुर के कुछ बन्धुओं व्दारा उसका अनुवाद हिन्दी में न किया गया होता। शेष कठिन कार्य लखनऊ में स्थित लोकहित प्रकाशन ने किया है।
 
अपने सभी नये और पुराने स्वयंसेवक एवम् राष्ट्रहितचिंतक इस जीवनी को पढेंगे तो उन्हें पू. गुरुजी के जीवन से न केवल प्रेरणा मिलेगी अपितु आज की देश की जटिल परिस्थितीयों में भारत के अपने कर्तव्य का भी दर्शन हो सकेगा।
 
ऐसे उत्तम ग्रंथ को लिखने अनुवादित करने और प्रकाशित करने वालों को अनेकानेक धन्यवाद।
 
- राजेंद्र सिंह
 
सरसंघचालक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ